भारतीय आईटी कंपनियों से नहीं मिलेंगी यूके की प्रधानमंत्री

नई दिल्ली  ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरीजा मे जो अपनी पहली भारत यात्रा पर रविवार देर रात यहां आ रही हैं, मंगलवार को बंगलुरु जाएंगी। परंतु पिछले लगभग डेढ़ दशक में यह पहला अवसर होगा जब कोई ब्रिटिश प्रधानमंत्री बंगलुरु स्थित आईटी के क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों का दौरा नहीं करेंगी।इसका कारण ब्रिटेन के वीजा नियमों में बदलाव है जिसके अंतर्गत अब भारतीय आईटी विशेषज्ञों को ब्रिटेन का वीजा मिलने में कठिनाई आएगी। थेरीजा मे का यह निर्णय संभवतः ब्रेक्सिट (ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर जाना) से प्रेरित है क्योंकि मुख्यतः वह इसी वादे को लेकर  प्रधानमंत्री बनी हैं कि प्रवासियों के प्रवेश पर अंकुश लगाया जाये। इसी निर्णय को लेकर ब्रिटेन ने कुछ दिन पहले ही अपने वीजा नियमों में बदलाव किया है। आशंका जताई जा रही है कि ब्रिटेन के इस निर्णय से भारतीय आईटी विशेषज्ञ सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। थेरीजा मे से पहले पिछले कुछ वर्षों में जितने भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत आये, चाहे वह टोनी ब्लेयर हों, गोर्डन ब्राउन हों या डेविड कैमरून, सभी बंगलुरु स्थित विप्रो या इनपफोसिस गए हैं और उनके साथ आईटी के क्षेत्र में वार्ता की है कि कैसे दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में आपसी सहयोग बढे।उल्लेखनीय है कि भारतीय आईटी कंपनियों ने ब्रिटेन की आईटी इंडस्ट्री को बढ़ाने में काफी सहायता की है।

उनको ब्रिटेन से लगभग 15 प्रतिशत राजस्व मिलता है नयी दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग या भारतीय विदेश मंत्रालय में से किसी ने भी इसपर प्रतिक्रया करने से इनकार किया।थेरीजा मे बेंगलुरु में पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री से मिलेंगी और डयनामैटिक टेक्नोलाॅजीज लिमिटेड के कार्यालय जाएंगी। उसके बाद लगभग चार बजे वह छोटे और मध्यम उद्यम व्यापार प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगी और फिर बंगलुरु से ही वापस लंदन चली जाएंगी।श्डयनामैटिक टेक्नोलाॅजीज लिमिटेडश् बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियों को हाइड्रोलिक पंपों की आपूर्ति करता है। कंपनी दावा करती है कि वह ब्रिटेन में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का सृजन करेगी।थेरीजा मे के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सचिव डाॅ लियाम पफाॅक्स, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग में राज्य मंत्री ग्रेग हैंड्स और विश्वविद्यालयों, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के लिए राज्य मंत्री जो जाॅनसन होंगे।