नई दिल्ली। ब्रिक्स बिजनेस फोरम में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने आधारभूत संरचना विकास में साझेदारी के रास्ते तलाशने पर जोर दिया। सभी सदस्य देश इस बात पर सहमत हुए कि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट के लिए वित्तीय संसाधनों को मुहैय्या कराने का एक तंत्र विकसित करना होगा जिससे प्रोजेक्ट्स समयावधि में पूरे हो और उनका फायदा ब्रिक्स देशों को मिले। गुरुवार को नई दिल्ली में ब्रिक्स ट्रेड फेयर के दौरान ब्रिक्स बिजनेस फोरम का आयोजन हुआ। जिसमें एक सत्र आधारभूत संरचना विकास में आपसी सहयोग के रास्ते तलाशने पर था। इस सत्र में भारत से नेशनल हाइवे ऑथारिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राघव चंद्रा, क्यूरोज ग्वालवो के निदेशक जोआओ ड्रूमोंड, रुस की जेएससी हाईस्पीड रेललाइन के वाइस प्रेसिडेंट अलेक्जेंडर मिश्रारिन, अलीबाबा ग्रुप के वाइस प्रेसीडेंट डोंग्वेई शी और सेबवेस्च होल्डिंग्स के सेबुलेला ने ब्रिक्स देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट को एक नए आयाम पर लाने की कोशिशों पर बात की। सभी इस बात पर एकमत थे कि ब्रिक्स देशों के स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर बाजारों को विकसित करने के जरुरत है, और इसके लिए वित्तीय संसाधन जुटाने का तंत्र विकसित करना होगा। खासकर किसी प्रोजेक्ट की शुरुआत में पर्याप्त वित्तीय सहायता मुहैय्या कराना वर्तमान में एक चुनौती होता है, और ब्रिक्स देशों को इसके लिए एक इंफ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी संकल्पना पर काम करना होगा, जिससे ब्रिक्स देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में किसी भी प्रकार की रुकावट ना आए।
ब्रिक्स बिजनेस फोरम भारत में हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन का हिस्सा है, जिसमें सदस्य देशों, ब्राजील, रुस, चीन , भारत और दक्षिण अफ्रीका के 10 हजार से ज्यादा बिजनेस प्रतिनिधि अलग -अलग सेक्टर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 7वें ब्रिक्स सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स ट्रेड फेयर और ब्रिक्स बिजनेस फोरम की संकल्पना रखी थी।