IAS प्रतिष्ठान में महिला आईएएस अफसरों की हैसियत Women ias officer
हिना आज़मी
आईएएस, आईपीएस और आईएएस से बड़ा अफसर भारत में कोई नहीं होता और अगर औरत इन तीनों में से किसी सेवा की सदस्य बन जाए, तो मान लेना चाहिए कि वह शासन प्रशासन में सत्तारूढ़ हो गई, लेकिन देखना यह होगा कि IAS के सत्ता प्रतिष्ठान के भीतर महिला आईएएस अफसरों (Women ias officer) की क्या हैसियत होती है? सरला ग्रेवाल देश की प्रमुख आईएएस महिला रही, किरण बेदी को कौन नहीं जानता जो एक विख्यात आईपीएस अफसर रही, मिसेज अय्यर देश की पहली महिला विदेश सचिव रह चुकी हैं।
यह तीनो महिलाएं सत्ता के शिखर पर बैठी हुई थी, लेकिन यह मोहक तस्वीरें उस समय छिन्न-भिन्न हो गयी थी, जब पता चला कि ग्रेवाल बेदी और अय्यर ने इस शोकेस के पीछे अक्सर महिलाओं की एक ऐसी अदृश्य कतार खड़ी हुई है, जिसके सिर भारी होने के कारण कभी सफाई से तो कभी मंडे रूप से हक छीन गए हैं। वैसे आईएएस बनने की प्रक्रिया सीधे-सीधे बाजार से जुड़ी हुई नहीं लगती ,लेकिन बाजार द्वारा समाज की दृष्टि में लाए गए।
महिलाओं के सार्वजनिक क्षेत्र में आने का विरोध
परिवर्तन को नापने के लिए इसका उदाहरण उपयोगी हो सकता है जैसे -अन्ना मल्होत्रा भारत की पहली IAS अफसर थी। जब वह लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू पैनल के सामने पेश हुई, तो साक्षात्कार लेने वालों ने उन्हें आईएएस बनने के समझाने की कोशिश की उनका कहना था कि महिला होने के नाते यह जिम्मेदारी नहीं उठा पाएंगी, वह नहीं मानी और अपने कैडर में नियुक्ति के लिए मद्रास में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा जी के सामने पेश हुई।
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मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि वह महिलाओं के सार्वजनिक क्षेत्र में आने के खिलाफ है। राजा जी को झुकना पड़ा। उस जमाने में शादी होते ही महिलाओं को इस्तीफा दे देना पड़ता था। बाद में यह नंबर लग गया । ठाकुर द्वारा किए गए एक अध्ययन” इनक्रीस इन एंड एक्सचेंज” से पता चला है कि प्रशासन के ऊंचे हलकों में आज भी तकरीबन वही पुरुष वर्चस्व वाला दिमाग काम कर रहा है। IAS के इम्तिहान में बैठने वाली महिलाओं की सफलता की दर बढ़ती जा रही है, लेकिन इस सेवा में आने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो सकेगी।