अब किससे कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ
इस दिल की झील सी आँखों में एक सपना बर्बाद हुआ
यह हज्र हुआ भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की
वह नाम जो मेरे होठों पर खुशबू की तरह आबाद हुआ
इस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए
एक शख्स किताबों जैसा था वह शख्स जबानी याद हुआ
वह अपने गांव की गलियां थीं दिल जिनमें नाचता गाता था
अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता नाशाद हुआ या शाद हुआ
बेनाम प्रशंसा रहती थी उन गहरी श्यामली आंखों में
ऐसा तो कभी सोचा भी न था दिल अब जितना बीदाद हुआ
नोशी गिलानी