…तो क्या सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना को कोई श्रेय नहीं?

उरी में सैन्य शिविर में पाकिस्तान की ओर से हुए आतंकी हमले में भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हुये थे, उसके बाद जिस तरह से भारतीय सेना ने इसका जवाब 28 सितम्बर देर रात सर्जिकल स्ट्राइक कर दे दिया, उसे पूरे देश की जनता ने वीर सैनिको को खूब सराहा लेकिन इसके बाद जिस तरह से इस सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति होने लगी उससे हमारे देश की जनता व वीर शहीदों के परिजनों के दिल को बहुत ठेस पहुंची है। और राजनीति भी स्वाभाविक है क्योंकि उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड का विधानसभा चुनाव नजदीक जो आ गया है। खैर, फिलहाल इस मामले को जाने देते है। 17 अक्टूबर को अहमदाबाद में ‘नो माए आर्मी (मेरी सेना को जाने)’ कार्यक्रम में हमारे देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जिस तरह से कार्यक्रम को संबोधित किया उससे तो ऐसा लगा कि मानो यह कार्यक्रम सेना के लिए नहीं बल्कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं के लिए कार्यक्रम का आयोजन हुआ हो।

रक्षा मंत्री ने तो सर्जिकल स्ट्राइक का सारा श्रेय ही आरएसएस को को दे दिया। मानो जैसे कि सर्जिकल स्ट्राइक में अपनी जान की बाजी भारत के वीर सेना ने नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं ने लगाया हो। ऐसे उन सैनिको का अपमान नहीं हो रहा जो शहीद हुए या जिन वीर सैनिकों ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। कुछ दिन पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता खुद चिल्ला चिल्लाकर इलेक्ट्रानिक मीडिया पर कह रहे थे कि सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति करना सैनिको का अपमान करने जैसा है अब वो कहां गये। हैरानी की बात यह भी है कि जो मीडिया सर्जिकल स्ट्राइक पर कई दिनो तक अपने न्यूज चैनलो पर यह दर्शने की कोशिश कर रही थी कि सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथ लेते हुए अपने न्यूज चैनलो पर उनकी निंदा करते थक नहीं रही थी वो इस बयान पर इतनी चुप कैसे रह सकती है? क्या इस पर बहस नहीं होनी चाहिए? अगर सरकार सर्जिकल स्ट्राइक का सारा श्रेय खुद लेगी तो जाहिर सी बात है कि इस पर राजनीति तो होगी ही और विपक्ष की राजनीति पार्टीयां इसका सबूत भी मांगेगी। मगर रक्षा मंत्री ने जिस तरीके से सारा श्रेय आरएसएस को दिया उससे उन्होंने हमारी सेना पर सवालीय निशान लगाता दिख रहा है और कई तरह के सवाल भी उठ रहे है कि क्या इससे पहले हमारी वीर सैनिक इस लायक नहीं थे कि वे इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे सके। इसका जवाब तो हमारे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ही अच्छी तरह से दे सकते हैं।