Ukhadti Jati hai meri sanse – Hindi shayari
उखड़ती जाती मेरी सांसे
कुछ हवाएं तो बिखराओ यारों,
कसम खाई नहीं जाना उसकी गली में
मजबूर कर ले जाओ यारों।
अंधेरों में काफिला डगमगाता मेरा
कुछ दिन तो जलाओ यारो,
दूर तलक ढूंढती मेरी निगाहें
सितारे यार को दिखाओ यारों।
अभी दायारों दर है मुन्तजर उसका
मय्यत न उठाओ यारों।।
नीतू सिंह
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