स्वामी विवेकानंद को आत्मज्ञान कराने वाले पीपल का पुनर्जन्म

Swami Vivekananda
Swami Vivekananda को आत्मज्ञान कराने वाले पीपल का पुनर्जन्म

उठो ,जागो और लक्ष्य की तरफ जब तक बढ़ते जाओ जब तक वो न मिले यह श्लोग्न दिया था युगनायक Swami Vivekananda जी ने जो पहले ईश्वर पर विश्वास नही करते थे। उनको ईश्वर का साक्षात् दर्शन करवाया उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस जी ने। दोस्तों, अज हम स्वामी जी से एक बात बतायेंगे।

पहाड़ की वादियों में 128 वर्ष पहले जिस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर युगनायक स्वामी विवेकानंद ने ब्रह्मांड का ज्ञान प्राप्त किया था, वह पेड़ पुनर्जीवित हो चुका है। यह संभव हो पाया प्राचीन पेड़ की कायिक कोशिकाओं से तैयार क्लोन से। इस पीपल के जीवन तो होने से यहां अद्भुत आध्यात्मिक तिरंगे लोगों को फिर महसूस होने लगी है।

विश्व और अनु ब्रह्मांड एक ही नियम की संरचना का आत्मज्ञान हुआ

“उत्तिष्ठ भारत” का संदेश लेकर 1890 में युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जब हिमालय यात्रा पर निकले, तो तीन नदियों के संगम काकड़ीघाट पर उन्हें अद्भुत खगोलीय तरंगों की अनुभूति प्राप्त हुई थी| वह स्नान कर पास के एक विशाल पीपल के वृक्ष की छाया में बैठ गए। 1 घंटे तक वहां ध्यान मग्न रहते है | इसी दौरान उन्हें विश्व और अनु ब्रह्मांड एक ही नियम की संरचना का आत्मज्ञान हुआ।




साल 2010 की प्रलयंकारी आपदा के बाद यह पीपल का पेड़ सूखने लगा था। वर्ष 2015 में गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिक इस पैतृक वृक्ष के जीवित तनों से कायिक कोशिकाओं को सुरक्षित कर प्रतिरूप बनाने में जुटे। सफल प्रयोग के बाद क्लोन को उसी जड़ पर लगाया गया जहां कभी पैतृक वृक्ष था।

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