पंतनगर विश्वविद्यालय हमारे राष्ट्र का गौरव : एनएसए अजीत डोभाल

Pantnagar University the pride of our nation
एनएसए अजीत डोभाल को मानद उपाधि प्रदान करते हुए।

Pantnagar University the pride of our nation

मानद उपाधि से नवाजे गए अजीत डोभाल
बोले-10 साल में खाद्यान्न उत्पादन में करनी होगी चीन की बराबरी
कार्यक्रम के राज्यपाल गुरमीत सिंह व मंत्री गणेश जोशी हुए शामिल

रुद्रपुर। Pantnagar University the pride of our nation पंतनगर कृषि विश्विद्यालय में गुरुवार को 34वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मानद उपाधि से नवाजा गया। दीक्षांत समारोह में 2503 छात्र और छात्राओं को उपाधि दी गई।

इस दौरान पांच हजार लोग इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने। इस दौरान राज्यपाल लेफ्टि. जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, कृषि मंत्री गणेश जोशी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में 34वें दीक्षांत समारोह का आयोजन संपन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शिरकत कर रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से नवाजा गया। जिसके बाद 2503 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गई।

इस दौरान 70 श्रेष्ठ विद्यार्थियों को पदक से नवाजा गया। शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए रोशनी चंद और 2021-22 के लिए सुरवी रावत को कुलाधिपति पदक से नवाजा गया। दोनों सत्रों के 26 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक, 22 विद्यार्थियों को रजत और 21 विद्यार्थियों को कांस्य पदक से सम्मानित किया गया।

विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि दिए जाने का आभार जताते हुए एनएसए अजीत डोभाल ने अपने संबोधन में कहा कि पंत विश्वविद्यालय हमारे राष्ट्र का गौरव है। विश्वविद्यालय ने उस समय देश की सेवा की थी जब देश आजाद हुआ था। तब देश को अनाज की जरूरत थी।

हम विदेशों को भी अनाज सप्लाई कर रहे हैं : Ajit Doval

जब भारत का विभाजन हुआ तो 70 मिलियन हेक्टेयर भूमि में से उपजाऊ 22 मिलियन हेक्टर भूमि पाकिस्तान में चली गई थी, जहां पर सबसे अधिक अनाज पैदा होता था। आज ये देश के लिए गौरव की बात है कि आजादी के 75 साल के बाद देश की 140 करोड़ जनसंख्या के साथ-साथ हम विदेशों को भी अनाज सप्लाई कर रहे हैं।

अजीत डोभाल ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान दुनिया में खाद्यान्नों की कमी को पूरा करने का भारत पर भी दबाव था। कई देशों को खाद्यान्न एक्सपोर्ट किया गया। वैज्ञानिकों की बदौलत आज देश में खाद्यान्न बेहतर हो गया है।

एनएसए डोभाल ने कहा कि जिस वक्त भारत आजाद हुआ था उस वक्त भारत और चीन में खाद्यान्न बराबर था। भारत में लगभग 50 लाख टन प्रोडक्शन था जबकि चीन का थोड़ा कम था।

भारत में 1.7 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर में खेती होती है जबकि चीन में 1.4 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर में खेती होती है। चीन कम भूमि होते हुए भी 682 मैट्रिक टन अनाज उत्पादन कर रहा है जबकि भारत 315 मेट्रिक टन उत्पादन कर रहा है।

चीन में खाद्यान्न उत्पादन की कीमत 10367 बिलियन डॉलर है जबकि भारत की कीमत 407 बिलियन डॉलर है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ये संकल्प लेना होगा कि 10 साल में भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में वहां तक पहुंचेगा जहां पर अभी चीन है। इससे भारत कई देशों को खाद्यान्न के मामले में अपने ऊपर निर्भर करा सकता है।

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