सरकार की करोड़ों की सम्पत्तियों पर अवैध कब्जा, नहीं हो रही कार्यवाही

IIM kashipur
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देहरादून/काशीपुर। भारतीय प्रबंध संस्थान ( IIM kashipur ) काशीपुर ने उत्तराखंड सरकार की करोड़ों की सम्पत्तियों पर अवैध कब्जा कर रखा है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने आई.आई.एम. काशीपुर से उत्तराखंड सरकार द्वारा अस्थाई व्यवस्था के लिये उपलब्ध कराये गये भवनों की समय अवधि के बाद वापसी न करने तथा इसके वर्तमान उपयोग के सम्बन्ध में सूचना मांगी। भारतीय प्रबंध संस्थान काशीपुर के लोक सूचना अधिकारी द्वारा अपने पत्रों आर.टी.आई संख्या 141/2017/63 दिनांक 10-04-2018 तथा प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा अपने 18-06-2018 के आदेश से सही मानी गयी|

इस सूचना से स्पष्ट प्रमाणित है वर्तमान में उत्तराखंड सरकार द्वारा स्थाई परिसर के लिये एस्कार्ट फार्म की लगभग 200 एकड़ भूमि के एक भाग में बने परिसर में आई.आई.एम. शिफ्ट होने के बाद इन भवनों का कोई खास उपयोग भी नहीं किया जा रहा है लेकिन निश्चित अवधि बीतने के बाद भी इन भवनों की राज्य सरकार को वापसी के लिये कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के गन्ना आयुक्त कार्यालय के भवन पर IIM kashipur के अवैध कब्जे के कारण उनका कार्यालय अस्थाई रूप से महिला आई.टी.आई. के कमरों में चल रहा है जिसमें कारण वहां भारी असुविधा हो रही है तथा नये ट्रेड भी कई वर्षों से प्रारंभ नहीं हो पा रहे हैं।

अवधि समाप्त होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं

श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्तमान में आई.आई.एम. काशीपुर के अवैध कब्जे में गन्ना एवं चीनी आयुक्त उत्तराखंड के कार्यालय का तिमंजला भवन, गन्ना किसान संस्थान व प्रशिक्षण केन्द्र काशीपुर के छात्रावास प्रशासनिक भवन दुमंजला भवन का गन्ना किसान संस्थान व प्रशिक्षण केन्द्र का प्रेक्षागृह (आडीटोरियम) राधेहरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर का छात्रावास तथा गन्ना अनुसंधान केन्द्र के भवन है।

उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार गन्ना एवं चीनी आयुक्त कार्यालय, भवन तथा गन्ना किसान संस्थान व प्रशिक्षण केन्द्र का छात्रावास तथा प्रशानिक भवन जून 2011 में दो वर्षों के लिये गन्ना किसान संस्थान व प्रशिक्षण केन्द्र काशीपुर के प्रेक्षागृह (आडीटोरियम) को अगस्त 2013 में तीन वर्ष के लिये तथा राधहरि राजकीय स्नातकोत्तर (महाविद्यालय) के छात्रावास को फरवरी 2013 में पांच वर्षों के लिये आई.आई.एम. को हस्तांतरित किया गया है।

इन सबकी अवधि समाप्त होने के बाद भी न तो आई.आई.एम. ने उन्हें वापस करने के लिये कोई कार्यवाही की है और न ही राज्य सरकार के अधिकारियों ने इन भवनों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिये कोई कार्यवाही की है। श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार आई.आई.एम. ने गन्ना आयुक्त के तिमंजला कार्यालय भवन को अस्थायी कार्यालय के बहाने घेर रखा है, जबकि गन्ना विकास संस्थान व प्रशिक्षण केन्द्र काशीपुर के छात्रावास व प्रशानिक भवन को हास्टल के रूप में प्रयोग करने का बहाना किया जा रहा है|

शिक्षण गतिविधियों के लिये प्रयोग करने के बहाने कब्जा कर रखा है

प्रेक्षागृह (आडीटोरियम) का प्रयोग सेमिनार कांफ्रेंस अथवा अन्य शिक्षण गतिविधियों के लिये प्रयोग करने के बहाने कब्जा कर रखा है। जबकि गन्ना शोध केन्द्र के भवन के उपयोग के सम्बन्ध में विभागीय कार्यों हेतु प्रयोग की सूचना दी है। आई.आई.एम. ने स्वीकार किया है कि राधेहरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्रावास के भवन को वर्तमान मेें कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है।

इसका गत वर्ष तक हाॅस्टल के रूप में प्रयोग करने का बहाना किया गया है। श्री नदीम के अनुसार आई.आई.एम. के स्थाई परिसर सेे 8-10 किमी दूर स्थिित इन भवनों का छात्रावास आदि के लिये प्रयोग का कोई औचित्य नहीं है। उल्लेखनीय है कि छात्रावास, कार्यालय व सेमिनार आदि की व्यवस्था स्थाई परिसर में ही की जाती है। श्री नदीम ने बताया कि नियमानुसार आई.आई.एम. को उत्तराखंड सरकार द्वारा एस्कार्ट फार्म की सीलिंग में निकली लगभग 200 एकड़ भूमि 2010 में दी गयी है उस पर भी नियमानुसार 2013 तक परिसर निर्माण नहीं किया गया है।

वर्तमान में भी इसके बहुत छोटे से भाग का ही IIM kashipur द्वारा उपयोग किया जा रहा है इसलिये यह भूमि वापसी योग्य है और भूमि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निकट के भूमिहीनों व अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को आवंटन किये जाने योग्य है।

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