क्या होता है सौभाग्य और दुर्भाग्य

Good luck and Bad luck
क्या होता है सौभाग्य और दुर्भाग्य Good luck and Bad luck

Good luck and Bad luck सौभाग्य का सुख और दुर्भाग्य का दुख, जीवन के दो पहलू है, जीवन इन्हीं दो पहियों से गति करता है। सौभाग्य का तात्पर्य है विगत समय में किए गए सत्कर्मों का परिणाम और दुर्भाग्य का अर्थ है बीते काल के सभी दुष्कर्मों की परिणति। सौभाग्य सूर्य देव की अरुणिम आभा के समान उदित होता है, जो पक्षियों के कलरव के समान मंत्र मधुर संगीत के सुरों से झंकृत होता है, परंतु दुर्भाग्य अस्ताचलगामी सूर्य के सदस्य होता है, जो देखते- देखते आसमान में विलीन होकर ललिमा की मोटी चादर उड़ा जाता है।

सौभाग्य के आगमन में आहट होती है, परंतु दुर्भाग्य दबे पैर चले आता है। जब कुछ अच्छा यजीवन को आर- पार देखने वाले पारदर्शी महापुरुष कभी भी चैन की नींद नहीं सोते। उनके जीवन में सौभाग्य काल आता अवश्य है, परंतु वह इसमें मन मस्त नहीं होते। सुख जीवन को आर -पार वाला होता है तो उसकी पूर्व सूचना मिल जाती है, मन में खुशी की तरह फैल जाती है।

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एक नई ताजगी का अहसास होता है, हृदय पुलकित होने लगता है ,भावनाओं में अनेक रंग घुलने लगते हैं। यह सब सौभाग्य अर्थात निकट भविष्य में कुछ शुभ होने और मनभावन पल कभी खत्म नहीं होगा। जीवन इसी तरह ही गुजर जाएगा। इसी बीच दुर्भाग्य की काली रेखाएं जब चुपके से बांधने लगती है ,तो लगता है कि एकाएक ही है क्या हो गया है? संकेत होता है परंतु दुर्भाग्य का फंदा कब गले पड़ जाता है। पता ही नहीं चलता और जब पता चलता है तब गले में फंदा पड़ चुका होता है।

दुर्भाग्य का उदय और उसके बाद का परिदृश्य

दुर्भाग्य का उदय और उसके बाद का परिदृश्य दोनों ही भीषण होते हैं। दुर्भाग्य पूर्व सूचना और उसके पूर्व संकेत दिए बगैर आता है ,ऐसा इसलिए क्योंकि विगत कर्मों की परिणति को भोगना जो है। अगर यह भी आहट कर दे कर आए तो  व्यक्ति सजग सतर्क नहीं हो सकेगा, सामान्य ज्ञान सौभाग्य के राग- रंग में इतने मन मस्त हो जाते हैं कि यह सब कब हो जाता है पता ही नहीं चलता। सौभाग्य के पल में लगता है कि ऐसे सुंदर और मनभावन पर कभी खत्म नहीं होगा।

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जीवन इसी तरह ही गुजर जाएगा इस बीच दुर्भाग्य की काली रेखा जब चुपके से बांधने लगती है, तो लगता है कि एकाएक यह क्या हो गया? जीवन को आर- पार देखने वाले पारदर्शी महापुरुष कभी भी चैन की नींद नहीं सोते। उनके जीवन में सौभाग्य आता अवश्य है, परंतु वह इसमें मदमस्त नहीं होते। इन  पलों  को वैगन तपस्या और सेवा आदि उत्कृष्ट कार्यो में लगाते हैं, क्योंकि उन्हें पता रहता है कि सौभाग्य की आड़ में दुर्भाग्य झांकता रहता है और वह जीवन में दाखिल होकर कभी भी दखल दे सकता है। इसी प्रकार सामान्य व्यक्ति को भी दुर्भाग्य को जीत करके सौभाग्य प्राप्त कल लेने का प्रयास करना चाहिए।

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