बचपन स्मार्टफोन में खो गया

आज तकनिकी के विकास के साथ साथ बच्चो का बचपन भी कही खो सा गया है ।
पहले के बच्चे गिल्ली डंडा,पकडम पकडाई,छुपम छुपाई और ऐसे ही बहूत से खेल खेला करते थे जिससे उनका शारीरिक व बोद्धिक विकास होता था । लेकीन आज तो  मोबाइल बचपन मे ही बच्चो के हाथो मे होता है जिसमे कैंडी क्रस जैसे गेम खेलने मे लगे रहते है । जिससे विकास तो रुकता ही है उनको ये भी नही पता होता की पडौस मे कौन बच्चा रहता है । ये ही कारण है की पहले जो बच्चे चंचल व नटखट होते थे आज एकाकी व चिडचिडे होने लगे है ।

इन सबके लिए कही ना कही हम सबही जिम्मेदार है क्योकी हम लोगो ने भागदौड़ भरी जिन्दगी मे अपनी जिम्मेदारीयो को स्मार्टफोन व विलासिता की जिन्दगी देकर इतिश्री कर ली जबकी हमने ये सब देकर बच्चो की हंसी खुशी छिन ली ।
बच्चे हर बाद पर जिद्दी व चिडचिडे हो गये । बचपन ना मिल पाने से बच्चो मे बडे होकर भी वही चिडचिडापन बरकरार रहता है जो की डिप्रेशन व अवसाद का कारण बन जाता है । यही कारण है की आज हृदयाघात के मरीज बढ रहे है ।

दीपक अग्रवाल राजस्थानी की कलम से………..