कैंसर के अलार्म सिस्टम की खोज

Cancer detection system
कैंसर के अलार्म सिस्टम की खोज Cancer detection system

Cancer detection system विश्व भर में होने वाली मौत के सबसे बड़े कारणों में कैंसर भी शामिल है। ज्यादातर मामलों में ट्यूमर की पूरी तरह बढ़ने के बाद ही कैंसर का पता चलता है। इस कारण मरीज के ठीक होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

कैंसर की पहचान जल्द हो जाए तो मरीज की जान बचने के साथ महंगे इलाज से भी छुटकारा मिल सकता है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक दिन नेटवर्क बनाया है जो कैंसर के लिए अलार्म सिस्टम की तरह काम करेगी।

स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए इस दिन नेटवर्क को कोशिका में डाला जाता है, वहां यह ट्यूमर बनने के दौरान रक्त में बड़े कैल्शियम की मात्रा पर नजर रखी जाती है। कैल्शियम बढ़ते ही मरीज की त्वचा पर भूरे रंग कातिल बन जाता है जो कैंसर होने की चेतावनी देता है।

कैंसर की पहचान के लिए कैल्शियम का प्रयोग किस लिए किया गया, क्योंकि यह पूरे शरीर में नियंत्रित मात्रा में होता है और कैंसर होने की स्थिति में इसकी मात्रा में वृद्धि हो जाती है। इसकी मदद से  स्तन, फेफड़े ,आंत और प्रोटेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है। जीन नेटवर्क की सबसे बड़ी खामी है कि 1 साल बाद यह काम करना बंद कर देता है।

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