भांग की खेती को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च

Bhang ki kheti
Bhang ki kheti को बढ़ावा देने को पायलेट प्रोजेक्ट लांच

देहरादून। भारतीय औद्योगिक भांग एसोसिएशन (आईआईएचए) और उत्तराखंड सरकार ने औद्योगिक स्तर पर भांग की खेती को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया, जिसे दुनिया भर में ट्रिलियन डॉलर की फसल माना जाता है। आईआईएचए के संरक्षण में भांग के पौधे उगाने का उत्तराखंड सरकार का यह प्रोजेक्ट भारत में औद्योगिक भांग उगाने का सबसे पहला लाइसेंसी पायलट प्रोजेक्ट है।

Bhang ki kheti का पायलट प्रोजेक्ट एक बार शुरू होने के बाद किसानों की आय बढ़ाने के नए अवसरों का सृजन होगा। गौरतलब है कि भांग उगाने के लिए बंजर जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि काफी सख्त फसल होती है और जिसे उगाने के लिए बहुत कम संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होती है।

Bhang ki kheti
औद्योगिक स्तर पर भांग की खेती को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च के मौके पर सीएम व आईआईएचए के अधिकारी।

यह पायलट प्रोजेक्ट उत्तराखंड के एक जिले पौड़ी गढ़वाल में शुरू किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेट की लॉन्चिंग पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रोजेक्ट में आईआईएचए की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट से स्थानीय समुदाय को होने वाले संभावित लाभ, जैसे रोजगार के अवसरों का सृजन, आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी और राज्य के गांवों में किसानों को आय बढ़ने के बारे में बताया।

इस परियोजना से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भी अवसर उत्पन्न होंगे, जो भांग परियोजना में निवेश के संबंध में काफी लंबे समय से सोच रहे हैं और इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड सरकार से कई बार संपर्क किया है। आईआईएचए के अध्यक्ष रोहित शर्मा ने कहा, उत्तराखंड में औद्योगिक भांग की खेती को कानूनी रूप से वैध बनाकर उत्तराखंड सरकार ने राज्य में उभरती हुई भांग की इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया है।

औद्योगिक Bhang ki kheti को वैध बनाने पर दूसरे राज्यों की नजर

इसके अलावा आईआईएचए की ओर से औद्योगिक भांग की खेती को वैध बनाने पर दूसरे राज्यों की नजर है और वह इसे काफी उत्सुकता से देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भांग हमारा पारंपरिक और धार्मिक पौधा है। आज से पूरा सम्मान मिल रहा है और भांग की खेती पर सकारात्मक रूप से चर्चा हो रही है। भांग की खेती से फायदा लेने के साथ हमें इसकी खेती से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के बारे में सोचना चाहिए।

आईआईएच के डायरेक्टर फाइबर चंद्रप्रकाश शाह जाने-माने फाइबर एक्सपर्ट हैं और 3 दशकों से कारोबार में अपने नाम का झंडा बुलंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भांग की खेती फाइबर इंडस्ट्री के लिए एक सुनहरा तोहफा है। इसके अलावा भांग का रेशा मानवता की भलाई के लिए सबसे मजबूत और पुराने रेशों में से एक माना जता है। भांग के रेशे में जीवाणु और यूवी प्रतिरोधी विशेषताएं होती है। यही कारण है कि चीन में सेना के जवानों के इनरवियर भी भांग से बनते हैं।

हमारी फाइबर इंडस्ट्री को मौजूदा दौर में 1,50,000 मीट्रिक टन भांग की जरूरत है। आईआईएचए के प्रयासों की सराहना करते हुए उत्तराखंड सरकार ने भांग की खेती को बढ़ावा देने और नई परियोजनाओं की लॉन्चिंग के लिए आईआईएचए से साझेदारी की घोषणा की। हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. केएस पंवार ने कम टीएचसी की भांग उगाने के लिए उत्तराखंड सरकार और आईआईएचए के बाच साझेदारी में एक पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की।

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